Sunday, March 5, 2017

हम क्वियर लोग !


जयपुर शहर में समलैंगिकों के अधिकारों के लिए गुलाबी प्राइड वॉक !!


 एलजीबीटी समुदाय जिसे हम लेस्बियन, गे ,बाई सेक्सुअल तथा ट्रांसजेंडर के रूप में संबोधित करते है ,अब वे स्वयं को क्वियर समुदाय कहते है ।भारत के मर्दवादी समाज में यौन चर्चा तक अनुचित मानी जाती है ।यहाँ तक कि विद्यार्थियों को यौन शिक्षा दिए जाने का भी संस्कृति के नाम पर विरोध किया जाता है।ऐसे समाज में कोई इंसान स्वयं की यौनिक पहचान जो कि मर्द या पुरुष के अलावा भी होती है ,उसे सार्वजनिक करना चाहे तो उसे स्वीकारा जाना काफी कठिन हो जाता है ।

हम लोगों को पुरुष या महिला के रूप में ही वर्गीकृत करने में ही सक्षम हो पाए है। अभी थर्ड जेंडर के बारे में हमारी धारणाएं अजीबोगरीब किस्म की ही है। हम महिला पुरुष से इतर  किसी जेंडर की पहचान को  मानने को राज़ी ही नहीं हो पाते हैं।अलबत्ता बहुत ही अनमने तरीके से हम उन्हें किन्नर कह कर आसानी से इग्नोर कर देते है।

भारत में समलेंगिकता को लेकर सामाजिक स्टीरियो टाइप्स धारणाएं तो मौजूद है ही वैधानिक रूप से भी इस पर कई पाबन्दियाँ आयद है। इसलिए लोग जीवन भर अलग तरह की पहचान और उससे पैदा होने वाली घुटन के साथ जीने को मजबूर हो जाते है।भारत में विगत कुछ वर्षों से समलेंगिकता को लेकर कार्यरत समूहों ने अपने अधिकारों के लिए संघर्ष किया है।धारा 377 के विरोध से लेकर हर वर्ष देश के विभिन्न हिस्सों में प्राइड परेड का आयोजन इसमें उल्लेखनीय है।

राजस्थान की राजधानी जयपुर में भी क्वियर समुदाय ने आज तीसरी गुलाबी क्वियर प्राइड परेड का आज आयोजन किया।शहीद स्मारक से लेकर अल्बर्ट हॉल तक क्वियर समुदाय के लोगों ने ढोल बजा कर ,नाचते गाते हुए,चटख रंगों से भरपूर वस्त्र धारण करके अपनी यौनिकता का खुल कर जश्न मनाया।

क्वियर समुदाय की ओर से जारी पर्चे में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि हम क्वियर लोग आज अपनी गर्वीली गुलाबी रैली के लिए शहर की सड़कों पर उतर आये है। हमें अपने समलिंगी होने पर नाज़ है।हम आज शान से यह साफ कहना चाहते है कि हमें हमारी लैंगिक पहचान को सबके सामने ज़ाहिर करते हुए गर्व की अनुभूति होती है।नई भोर संस्था की संस्थापक पुष्पा गिदवानी कहती है कि हम भी इसी समाज के नागरिक है ,हम किसी दुसरे ग्रह से नहीं आये है और न ही असामान्य या अप्राकृतिक लोग है .हम आप जैसे ही है इसलिए हमें भी हमारे नागरिक अधिकार मिलने चाहिए .

ये वो लोग है जिन्हें अक्सर हिंजड़ा कह कर मजाक उड़ाया जाता है ,जिनको लेस्बियन या गे होने की वजह से समाज से बहिष्करण झेलेना पड़ता है ,जिनको कोई घर किराये पर नहीं देता। सरकारें नौकरियां नहीं देती और निजी नियोक्ता जिनको अपने प्रतिष्ठानों में घुसने तक नहीं देते । हर रोज जिन्हें लिंग आधारित हिंसा को सहन करना पड़ता है ।

तथाकथित समाज यह बरदाश्त ही नहीं कर पता है कि कोई लड़का किसी लड़के के साथ रहें या उसी के साथ जीवन गुजार दें ,वैसे तो लौंडेबाजी के बड़े किस्से सुने सुनाएं जाते है और मौका मिलने पर इस तरह के सम्बन्ध स्थापित करने में भी कोई झिझक नहीं रखते है ,मगर परिवार का कोई सदस्य अपनी लैंगिक पहचान को उजागर करना चाहे या अपनी यौनिकता का इज़हार करना चाहे तो सम्पूर्ण धर्म और संस्कृतियां हांफने लग जाती है।इसकी वजह से बड़ी संख्या में लोग झूठा जीवन जीते रहते है।कईं ज़िन्दगियाँ ऐसे ही बर्बाद होती रही है ।
पर अब वक़्त बदल रहा है ,एलजीबीटी समुदाय के लोग अपनी यौनिकता का सड़क पर खुलेआम जश्न मना रहे है तथा कह रहे है कि लिंग ,जाति ,वर्ग ,धर्म ,विकलांगता और ज़ेडर तथा यौनिकता के आधार पर भेदभाव बंद होना चाहिए।इतना ही नहीं बल्कि मतभेद ज़ाहिर करने की आज़ादी पर राष्ट्रवाद के नाम पर लगाई जा रही रोक एवं अल्पसंख्यक समुदायों के प्रति हिंसा की भी क्वियर समुदाय जमकर मुखालफत कर रहे है।ये बड़े लोकतान्त्रिक मुद्दे है ,जिन पर यह उपेक्षित और वंचित समुदाय अपनी स्पष्ट राय रखने का साहस कर रहा है।

क्वियर समुदाय के प्रति आम समाज का नज़रिया बदले इसलिए आज की प्राईड परेड में कई अन्य लोग भी सम्मलित हुए और उन्होंने भी क्वियर समुदाय की मांगों के प्रति एकजुटता जाहिर की है। इस मौके पर मैं भी आज इस रैली का हिस्सा बना। मुझे अच्छा लगा कि हमारे देश का लोकतंत्र इस प्रकार की आवाजों को सुनकर और अधिक समावेशी बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। यही तो भागीदारी वाला लोकतंत्र है ।

-भंवर मेघवंशी
( संपादक -शून्यकाल यूट्यूब चैनल )

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