Saturday, April 1, 2017

दलित हो कर करते हो प्रेम ,मारे जाओगे !

दलित हो कर करते हो प्रेम ?
जब तुम्हें नफरत सिखायी हमने
तुमसे नफरत की,तुम्हें नफ़रत दी।
फिर कहाँ से सीखा
तुमने प्रेम करना ?

प्रेम करोगे
तो मारे जाओगे
निकाल दी जायेगी
प्यार में
दो चार होने वाली
गुनाहगार आँखें।
नोंच लिया जायेगा
चेहरा तुम्हारा
चेहराविहीन हो कर
कैसे करोगे प्रेम ?

दलित हो,दलित रहो
नफरत के काबिल रहो
न प्रेम लो ,न प्रेम करो
भूल कर भी मत करना प्रेम
मत बनना कभी प्रेमी।
वरना खापें मारेगी तुमको
सड़कों पर ,जंगलों में ।
रेल्वे ट्रेकों पर
मिलेंगे तुम्हारे
क्षत विक्षत शव ।

अगर चाहते हो
जीना।
अगर चाहते हो कि
बची रहे सांसे तुम्हारी
तो भूल कर भी
मत करना प्रेम।

तुम्हारे लिंग
अपने तक ही रखना
वरना काट दिए जाएंगे
हम लिंग पूजक जरूर है
पर जानते है कि
किसका लिंग पूजनीय है
और किसका काटने योग्य।

प्रेम अँधा होगा
हम नहीं है अंधे ।
हम शासक है तुम्हारे
हमारी बहु ,बेटियां, पत्नियां
नहीं है तुम्हारे लिये।
और न ही हमारे
सुकुमार युवा है
तुम्हारे लिए
दलित कामुकाओं ।

अपने तक रखो
अपनी आंखें,
अपने उभरते स्तन
अपने हौंठ, अपने चेहरे
अपने जिस्म,
अपने लिंग,अपनी योनियां
खुद तक सीमित रखो
दलितों।
भूल कर भी मत करो
प्रेम करने की नीच हरकत ।
वरना बेमौत मारे जाओगे ।

यह मुफ्त सलाह है तुम्हे
कभी भी ,कहीं भी
मत करना भूल कर भी
प्रेम।
दलित होकर
किसी भी तुच्छ,
मगर उच्च
कही जाने वाली
जाति वाले या वाली से ।

-भंवर मेघवंशी
( संपादक -शून्यकाल यूट्यूब चैनल )

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